अवशेष
अवशेष लिए अन्तःमन में बचा हूँ कुछ मैं शेष,
बीते से कुछ पल और मैं!
धुंधली सी तेरी झलक और यादों के अवशेष!
बचा हुआ हूँ शेष,
जितना नम आँखों में विदाई के गीत !
बची हुई है जिजीविषा,
जितनी किसी प्रतीक्षा में पदचापों की झूठी आहट !
बची हुई है मुस्कान,
जितना मुर्झाने से पहले खिला हो चमकता फूल !
बचा हुआ है सपना,
जितना किसी मरणासन्न के आँखों में आशा !
बचा हुआ है रास्ता,
जितना किसी अंतिम यात्रा में श्मशान !
बचे हो कुछ मुझमें तुम!
इन्हीं अवशेषों के बीच कहीं दूर जाती हुई,
गुनगुनायी जाती धुन की तरह...
Comments
Post a Comment