नारी: ईश्वरीय एहसास

एहसास खूबसूरती का जब ईश्वर को हुआ,
श्रृष्टि निर्माता ने तब ही जन्म स्त्री को दिया।

इक एहसास कोमलता का जब हुआ होगा,
तब  उसने स्त्री का कोमल हृदय रचा होगा।

जग के भूख प्यास की जब हुई होगी चिन्ता,
तब उसने माता के आँचल में दूध भरा होगा।

जब एहसास कोमल भाव की मन में जागी,
ममत्व, स्त्रीत्व, वात्सल्य तब नारी को दिया।

धैर्य, संकल्प, सहनशीलता, भंडार ग्यान का,
सम्पूर्ण रूपेण नारी को उसने दे दिया होगा।

चाँदनी का घमंड तोड़ने को ही शायद उसने,
अकथनीय अवर्णनीय सुन्दरता नारी को दी।

सुन्दरता को परिभाषित करते करते उसने,
नारी रूप की परिकल्पना कर डाली होगी।

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