शाम कुछ यहाँ कुछ वहाँ
हुई है शाम दोनो तरफ, कुछ यहाँ भी और वहाँ भी, पल रहे अरमान दोनों तरफ, इक यहाँ और इक वहाँ भी, सिलसिले तन्हाईयों के अब हैं, कुछ यहाँ भी और कुृछ वहाँ भी। इक सपना पल रहा यहाँ, एक पल रहाँ वहाँ भी, नींद आँखों से है गुमशुदा, कुछ यहाँ और कुछ वहाँ भी, धड़कनें की जुबाँ अब बेजुबाँ हैं, कुछ यहाँ भी और कुृछ वहाँ भी। ख्वाब आँखों मे पल रहे हैं, कुछ यहाँ और कुछ वहाँ भी। बजती है मन में शहनाईयाँ, अब यहाँ और वहाँ भी, गीत साँसों मे अब बज रही है, कुछ यहाँ भी और कुृछ वहाँ भी। कतारें रौशनी की अब, कुछ यहाँ भी कुछ वहाँ भी। इंतजार उस पल का, अब यहाँ भी वहाँ भी, शाम ढल रही अब तुम बिन, कुछ यहाँ भी और कुृछ वहाँ भी।